Sunday, May 11, 2014

पत्‍नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाना नहीं माना जाएगा बलात्‍कार

राजधानी की एक अदालत ने पत्‍नी का बलात्‍कार करने के आरोपी एक पति को बरी कर दिया है। यह फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी महिला के साथ जबर्दस्ती बनाए गए शारीरिक संबंध को उस वक्‍त रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, अगर महिला आरोपी से शादी के रिश्‍ते में हो। द्वारका कोर्ट में चल रहे एक मामले में एक महिला ने अपने पति पर ही रेप करने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पति और पत्नी होने की हालत में रेप का मामला नहीं बनता है, भले चाहे पीड़ित की इच्छा और सहमति के बगैर सेक्स हुआ हो। 

पत्नी ने दावा किया था कि मार्च 2014 में आरोपी उसे बेहोशी की हालत में गाजियाबाद के मैरिज रजिस्ट्रार के दफ्तर ले गया और शादी के कागजात पर साइन करवा लिए। आरोप था कि बाद में आरोपी ने पीड़ित के साथ रेप किया और फिर उसे छोड़ दिया। महिला ने अक्टूबर 2013 में पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने इस मामले में सात मई को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी कानूनी तौर पर शादीशुदा हैं। साथ ही पीड़ित बालिग भी हैं। ऐसे में दोनों की शादी होने के बाद जबर्दस्ती सेक्स होने पर भी रेप का केस नहीं बनता है। 

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